
By mobilizing ten to ten rupees these women are doing today by cultivating 4 million

दस-दस रुपए जुटाकर ये महिलाएं आज कर रही हैं 4 करोड़ से खेती
देश में खेती को बढ़ावा देने और प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं। वहीं किसानों को खेती के लिए उचित प्रशिक्षण देने के लिए भी सरकार द्वारा कई तरह के प्रयास किये जा रहे हैं। इसके साथ ही महिलाएं भी अब खेती में अपना दम-खम दिखा रही हैं। पिछले कुछ महिनों में ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं जिनसे यह पता चलता है की खेती में अब महिलाएं भी एक नया आयाम दे रही हैं। यही नहीं इन महिलाओं की खेती के प्रति बढ़ती रुची को देख अन्य महिलाएं भी प्रेरित होती हैं।
आज की यह खबर भी महिलाओं को प्रेरित करने वाली ही हैं। महिलाओं की यह कहानी है मध्यप्रदेश के बालाघाट की जहां यह महिलाएं एक वक्त जंगलों में पेड़ काटती थीं लेकिन, आज इन महिलाओं ने राज्य और देश में एक मिसाल पेश किया है। क्षेत्र की आदिवासी महिलाएं अब कारोबार को समझते हुए खेती में आगे बढ़ रही हैं। बाजार के हिसाब से जैविक खेती करके सब्जी और उच्च प्रजाति का चावल पैदा कर रही हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होने लगी है। महिलाओं की यह कहानी लंबे समय की संघर्षों का नतीजा है। दस-दस रुपए की पूंजी से शुरू हुई बचत 10 सालों में 4 करोड़ तक पहुंच गई है। बैंक और सूद पर पैसे देने वालों को इन्होंने ना बोल दिया। और महिलाओं ने बैंक बना लिया और वह उसी से कर्ज लेती और जमा करती हैं। वह भी बिना ब्याज पर।
महिलाओं का यह समूह बनाने का तरीका भी काफी सराहनीय है। 152 गांवों के 175 समूहों में आठ हजार महिलाएं एक-दूसरे की मदद से आगे बढ़ रही हैं। 400 प्रशिक्षित महिलाएं गांवगांव जाकर समूह की महिलाओं को प्रशिक्षण दे रही हैं। यहां गांव की करीब साढ़े चार हजार महिलाएं जैविक खेती कर रही हैं। महिलाओं के द्वारा किया जा रहा यह व्यापार दिल्ली से तामिलनाडु तक फैला हुआ है। महिलाएं मिर्च, टमाटर से लेकर अन्य सब्जियों की खेती कर रही हैं। इसके साथ ही 300 महिलाएं बकरी पालन और करीब 650 महिलाएं मुर्गी पालन कर रही हैं।
गांव में महिलाएं खेती के वयव्साय को लेकर काफी खुश हैं और यहां पलायन की समस्या भी इस वजह से अब पलायन की समस्या भी ख़त्म हो चुकी है।