
Organic farming to save soil in India

मिट्टी को बचाने के लिए जैविक खेती का सहारा
जैविक खेती से पैदा होने वाली फसल इंसान की सेहत के लिए तो अच्छी होती है, मिट्टी की सेहत और मित्र कीटों के लिए भी लाभदायक होती है।
जैविक खेती से पैदा होने वाली फसल इंसान की सेहत के लिए तो अच्छी होती है, मिट्टी की सेहत और मित्र कीटों के लिए भी लाभदायक होती है। गौलापार के किसान नरेंद्र मेहरा और हिम्मतपुर तल्ला के किसान अनिल पांडे ने जैविक की ताकत को समझा और रसायनिक खेती छोड़ जैविक खेती को अपनाया। फसल की गुणवत्ता के साथ उत्पादन में बढ़ोतरी को देखकर अब क्षेत्र के अन्य किसान भी खेती के परंपरागत तरीके को अपना रहे हैं।
किसान नरेंद्र मेहरा ने बताया कि तीन बीघा के खेत में उन्होंने जैविक खाद का प्रयोग किया, जिसके बहुत ही अच्छे परिणाम मिले। किसी खेत में लगातार पांच साल तक जैविक खाद का इस्तेमाल करने के बाद खाद की जरूरत नहीं पड़ती। अब वह अपने आसपास के किसानों को भी जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।
जैविक खेती के प्रति किसानों के उत्साह को देखते हुए अब हल्द्वानी ब्लाक के गौलापार क्षेत्र के गांवों को जैविक गांव बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है। रासायनिक खादों के उपयोग से भूमि की उपजाऊ क्षमता कम हो रही है। जिससे खाद-कीटनाशक के अधिक इस्तेमाल के कारण फसल की लागत भी ज्यादा आ रही है। रासायनिक खादों के ज्यादा प्रयोग से जमीन के अंदर फसल की उत्पादकता बढ़ाने वाले जीवाणु नष्ट हो रहे हैं और फसल की उत्पादकता कम हो रही है।
अपने दम पर शुरू किया अभियान
किसानों को जैविक खेती के फायदे बताने के लिए किसान नरेंद्र मेहरा और अनिल पांडे ने बिना किसी सरकारी प्रोत्साहन के अपने दम पर अभियान शुरू किया। गौलापार और हिम्मतपुर में पचास से छोटी जोत वाले किसानों को जैविक अभियान से जोड़ा गया है। उन्होंने बताया कि जैविक खेती की लागत रासायनिक खेती की तुलना में करीब अस्सी प्रतिशत तक कम हो जाती है। रासायनिक खाद के मुकाबले जैविक खाद सस्ते दामों पर तैयार हो जाती है। इसलिए भी किसान अब जैविक की ओर आगे बढ़ रहे हैं।
क्या है जैविक के फायदे
जैविक खाद के उपयोग से भूमि की गुणवत्ता में सुधार आता है। भूमि की जल धारण क्षमता बढ़ती है। भूमि से पानी का वाष्पीकरण होता है। जैविक खेती के नैनीताल जिले में मास्टर ट्रेनर बनाए गए अनिल पांडे बताते हैं कि जैविक खेती हर दृष्टि से बेहतर है। बाजार में जैविक उत्पादों की कीमत भी अच्छी मिल रही है। स्वास्थ्य के लिए इन्हें किफायती माना जाता है। जैविक खेती से प्रदूषण में कमी आती है, जबकि रसायनिक खादों एवं कीटनाशकों से पर्यावरण पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है।
कृषि अधिकारी (हल्द्वानी) आरके आजाद का कहना है कि जैविक खेती के काफी अच्छे परिणाम देखने को मिल रहे हैं। किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित भी किया जा रहा है। जिले के विभिन्न ब्लाकों में जैविक प्रशिक्षण कार्यक्रम भी संचालित किए जा रहे हैं।