
Rajasthan farmer gives new look to agriculture

राजस्थानी किसान ने कृषि को दिया नया रूप
आज हम ऐसीं शख्सियत के बारे में बात कर रहे हैं जिसने हिम्मत और मेहनत के सहारे कृषि को एक अलग रूप प्रदान किया | राजस्थान के सीकर जिले के छोटे से गावों के झाबर सिंह अपने गांव के लोगों के लिए एक अच्छा उदहारण साबित हुआ है|
जिन्होंने खूब पढ़ने लिखने के बाद भी अपनी मिट्टी से लगाव को दूर नहीं किया बल्कि उसी मिट्टी पर खेती करने का सोचा | एक वक्त था जब बीएड करने के बाद झाबर सिंह का सरकारी शिक्षक के पद पर चयन हुआ, मगर झाबर सिंह ने सरकारी नौकरी के बजाए परम्परागत खेती को नए तरीके से करने की प्राथमिकता दी और खेती में मन लगाया |
झाबर सिंह कि शुरुआत :
राजस्थान के सीकर जिले के थोई निवासी किसान झाबर सिंह ने वर्ष 1979 में खेती करना शुरू किया | शुरुआत गोबर खाद और उर्वरक और उन्नत बीज के प्रयोग से की | जिससे हर साल पैदावार बढ़ती गई | इसके बाद आकाशवाणी केंद्र जयपुर से खेती के कार्यक्रम सुनने के साथ-साथ “हरियाणा कृषि विश्विद्यालय ” हिसार के किसान मेले में हिस्सा लेने लगे |
वर्ष 1986 तक लगातार फार्मदर्शन, बागवानी,फसल उत्पादन एवं सामाजिक वानिकी से प्रभावित होकर साथी किसानों को 5000 पौधे बांटे | यहाँ तक वह अपने खर्च पर पूसा इक्रीसेट, बंगलुरु, आदि कृषि संस्थानों का भ्रमण किया |
वर्ष 1987 में सर्वप्रथम गोबर गैस संयंत्र स्थापित किया | कृषि संस्थानों का भ्रमण करने के बाद उनका आत्मविश्वास और आमदनी दोनों में इज़ाफ़ा होने लगा और खेती की पैदावार भी बढ़ी |
फिर बागवानी की तरफ रुख किया:
वर्ष 1998 तक किसान झाबर मल परम्परागत खेती ही करते थे | उद्यानिकी की ओर कदम बढ़ाते हुए 2 हेक्टेयर में आंवला, 1 हेक्टेयर में बेर, पपीता का बग़ीचा स्थापित किया |
वर्ष 2000 में ड्रिप सिस्टम तकनीक का इस्तेमाल कर बगीचा व नर्सरी स्थापित की वन विभाग भी इनसे पौधें खरीदने लगा |
आय में वृद्धि :
उन्होंने आंवला से 3 लाख, निम्बू से 15 हज़ार,बाजरा से 50 हज़ार, मूंगफली से 2 लाख,
गेहूं से 1 लाख, सरसो से 25 हज़ार, जौ से 50 हज़ार,खीरे,मिर्च ओर कद्दू से 2 लाख तक की सालाना आय हो रही है, जो करीब 14 लाख 20 हज़ार रुपये है | ऐसे में झाबर सिंह की प्रतिमाह की आय सवा लाख रुपये है |
शेडनेट में सब्ज़ी उत्पादन:
प्रगतिशील किसानों में शामिल झाबर सिंह ने वर्ष 2012 में शेडनेट की स्थापना करवाई |इसमें सर्वप्रथम खीरे का रिकॉर्ड तोड़ उत्पादन हुआ था |खीरे से 6.10 लाख कीआमदनी हुई थी |इसके आलावा खुले में मिर्ची ,तरबूज ,ककड़ी व टमाटर का उत्पादन किया |
सोलर सरताज से पुरस्कृत:
उन्होंने सोलर ऊर्जा परियोजना का लाभ लेते हुए फसल को सुचारु रूप से सिंचाई के लिए सौर ऊर्जा पंप की स्थापना की | इसके लिए उन्हें मुख्यमंत्री ने सोलर सरताज पुरस्कार से सम्मानित भी किया |
यह तो थी राजस्थान के सफल किसान झाबर सिंह की कहानी जिन्होंने यह साबित किया की इन्सान चाहे तो कुछ भी कर सकता है कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता | नई तकनीक की मदद से उन्होंने कृषि को एक नया रूप दिया और एक सफल किसान बन के दिखाया |