
Rajesh Bhati is stopping soil and water pollution by making organic farming in Faridabad Haryana

जैविक खेती से राजेश भाटी रोक रहे मिट्टी और जल प्रदूषण
पर्यावरण संरक्षण
आर्थिकी बनाम परिस्थितिकी:
किसानों में रसायनिक खादों और दवाओं के उपयोग की होड़ लगी है
रासायनिक खाद और दवाओं की उपयोगिता से मिट्टी और जल प्रदूषण हो रहा है
किसानों में फसलों का ज्यादा उत्पादन पैदा करके अधिक लाभ कमाने को लेकर रासायनिक खाद, कीटनाशक, खरपतवार नाशक दवाओं के उपयोग करने की होड़ लगी रहती है। इनका ज्यादा उपयोग करने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति कमजोर होती है और बंजर बनने का खतरा बना रहता है। रासायनिक खाद और दवाओं के उपयोग से भूजल स्तर भी प्रदूषित होता है, जिससे मानव, पशु-पक्षी सभी के स्वास्थ्य पर गहरा दुष्प्रभाव पड़ रहा है।
गांव छांयसा के किसान राजेश कुमार जैविक खेती करके फसल उत्पादन भले ही करते हैं, लेकिन वे मिट्टी और जल प्रदूषण को भी रोक रहे हैं। इससे मानव-पशु और पक्षियों के स्वास्थ्य पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है। उन्हें देखकर क्षेत्र के दूसरे किसान भी जैविक खेती करने में जुटे हुए हैं।
गांव छांयसा के रहने वाले राजेश भाटी स्वयं पतंजलि योग पीठ हरिद्वार से जैविक खाद और खरपतवार नाशक बनाने की विधि सीखकर आए। जैविक खाद तैयार करने के लिए उन्होंने पांच देसी गाय रखी हैं। उन्होंने अपने साथ-साथ गांव डीग के चरण ¨सह, कौराली के अजीत भाटी, रणवीर ¨सह छांयसा, महेंद्र शर्मा अरुआ सहित-60-70 किसानों को भी जैविक खेती करने के लिए प्रशिक्षण दिया और प्रेरित किया है। जैविक खेती करने से फसल की लागत भी कम आती है।
जैविक खाद बनाने की विधि 10 किलोग्राम गोबर, 10 लीटर गोमूत्र, एक किलोग्राम गुड़, एक किलोग्राम बेसन (चना, उड़द, मूंग, अरहर, मसूर किसी भी दाल का), एक किलोग्राम पेड़ के नीचे की मिट्टी को एक प्लास्टिक के ड्रम में मिलाकर कपड़े से ढक दें। दो दिन सुबह-शाम एक-एक मिनट घड़ी की दिशा में लकड़ी से चलाएं। दो दिन में एक-एकड़ के लिए जीवामृत जैविक खाद तैयार हो जाएगी। जीवामृत जैविक खाद को गेहूं या धान की फसल में हर पानी पर डालें। जीवामृत से पैदा होने वाली फसल पूरी तरह से निरोगी होगी।
जैविक खरपतवार नाशक तैयार करने की विधि
एक किलोग्राम फिटकरी, एक किलोग्राम सुहाग, एक किलोग्राम गोबर के उपलों की राख, एक किलोग्राम लकड़ी का बुरादा राख के साथ पीसकर बुवाई से पहले जुताई के समय एक एकड़ खेत में डालें। इस विधि से 80 फीसद खरपतवार नहीं होगी। खरपतवार नाशक से जमीन की मृदा और भूजल प्रदूषण को भी रोका जा सकता है।