
Scientist invent organic medicine for fungal treatment of banana tree in cihs department
ऑर्गेनिक दवा से ‘तंदुरुस्त बना रहेगा केला, वैज्ञानिकों ने पेड़ में लगने वाली फंगस का ढूंढ़ा इलाज
हर किसी का पसंदीदा फल केला क्या फंगस फ्यूजेरियम टीआर-4 के आक्रमण के चलते दुनिया से खत्म हो जाएगा…? चीन, कोलंबिया यहां तक कि अमेरिका में केले की खेती पर मंडरा रहे संकट के बाद यह सवाल पूरी दुनिया में गूंज रहा है। हालांकि, भारतीयों को ज्यादा चिंतित होने की जरूरत नहीं है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) के वैज्ञानिकों ने केले को तंदरुस्त बनाए रखने का तोड़ ढूंढ़ निकाला है। केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (सीआइएसएच) और केंद्रीय मृदा लवणता संस्थान ने फंगस के खात्मे के लिए आर्गेनिक आइसीआर फ्यूजीकॉन तैयार कर लिया है। इस बाबत शोध अंतरराष्ट्रीय जर्नल ‘प्लांट डिजीज’ में प्रकाशित किया गया है।
सीआइएसएच के निदेशक डॉ. शैलेंद्र राजन ने बताया कि विदेश में केले को नुकसान पहुंचाने वाले जिस फंगल रोग को लेकर इमरजेंसी जैसी स्थिति बनी हुई है, उसका प्रकोप उत्तर प्रदेश व बिहार में भी हो चुका है। उप्र में महराजगंज के सुहावल, मेगावल व सिसवां बाजार और बिहार के कटियार, सीतामणि व पुर्णिया के किसान भी इससे त्रस्त थे। हालांकि भारत के जिन भागों में केले की जी-9 किस्म का उत्पादन हो रहा है, वहां बीमारी नहीं पहुंची है।
नेपाल से संकट आने की संभावना
डॉ. राजन ने बताया कि दोनों संस्थानों ने फंगस की दवा आइसीआर फ्यूजीकॉन का सिसवां बाजार स्थित केले बाग में सफल परीक्षण किया। नतीजे सफल रहे। उन्होंने बताया कि भारत में फंगस नेपाल की नदियों में आने वाली बाढ़ के पानी संग आता है। इसीलिए नेपाल एग्रीकल्चर काउंसिल से संपर्क कर फंगस के प्रकोप का पता लगाया गया।
पूरा पेड़ निगल जाती है फंगस
डॉ. राजन बताते हैं कि फंगस का प्रकोप होने के बाद पेड़ नीचे से गलने लगता है। अंत में पूरा पेड़ ही गिर जाता है। उन्होंने बताया कि आइसीएआर फ्यूजीकॉन का प्रयोग गुड़ के साथ फरमेंट (किण्वन) किया जाता है। यह पूरी तरह से आर्गेनिक है। महज 125 रुपये प्रति किलो में दवा उपलब्ध है।